चुटकला... 'चोटकला' और हास्य का मंत्र
अंतरराष्ट्रीय चुटकला दिवस पर विशेष हास्य का लघुतम स्वरूप ही चुटकला है। यह लोकगीतों, मुहावरों और लोकोक्तियों की भांति सार्वजनिक संपत्ति है। हास्य -व्यंग्य प्रधान चुटकुले में वचन विदग्धता के साथ यमक- श्लेष जैसे आलंकारिक प्रयोग देखे जा सकते हैं। संक्षिप्तता और लघुता ही चुटकुले का वास्तविक और श्रेष्ठ गुण होता है । चुटकले के लिए प्राय: इन वाक्यों से अधिक कहने- सुनने के लिए कुछ उपलब्ध नहीं है। इसी आलोक में वर्तमान कालखंड में इसकी निष्पक्ष और सही विवेचना आवश्यक है । यह लोक विधा ,लोक विदों द्वारा लोक रंजन के लिए निर्मित है । यह दृष्टव्य है कि जो हास्य के कारक हैं; 'विट' ,'फेंटेसी' अलेगरी' और 'एब्सर्डिफिकेशन' यही गुण चुटकले के मूल में होते हैं । यह कहना समीचीन होगा कि भक्ति में जो महत्व, प्रभाव और लाभ बड़े स्रोत्र अथवा स्तुति का है; वही महत्व संक्षिप्त मंत्रों अथवा बीज मंत्रों का होता है । इसी रूप में चुटकले हास्य रस के मंत्र अथवा बीज मंत्र हैं । समान रूप से लाभ, प्रभाव और गुणकारी। यह 'चुटकला' नहीं 'चोटकला' है अर्थात् एक ऐसी लेखन कला; जो 'सर...