Posts

Showing posts from October, 2023

टंग-ट्विस्टर

Image
'टंग -ट्विस्टर' अर्थात् सीधे-सीधे शब्दों में समझा जाए तो इसका अर्थ जिह्वा/ जीभ भाँजना -घुमाना -मरोड़ना है।  और अधिक  सरलता से  इसे परिभाषित किया जाए तो  इसे 'जिह्वा का  लयात्मक व्यायाम' कहना उपयुक्त होगा , ऐसा व्यायाम जो जिह्वा के माध्यम से उत्पन्न होने वाले शब्द- ध्वनि को अत्यंत सुस्पष्ट- शुद्ध -ग्राह्य -प्रभावी और चमत्कारी बनाता है ।  बहुत कम लोग हैं जो इसकेशारीरिक- वैज्ञानिक महत्त्व के साथ इसका शास्त्रीय महत्त्व भी जानते हैं । काव्यप्रकाश रचयिता आचार्य मम्मट काव्य भेद  को स्पष्ट करते हुए 'चित्र काव्य'  की व्याख्या करते हैं। चित्र काव्य को काव्य का तीसरा भेद भी कहा गया है । आचार्य मम्मट कहते हैं कि व्यंग्य और अर्थ से रहित शब्दों का अनुप्रास जन्य चमत्कार ही चित्र काव्य है । इस काव्य में शब्द सौंदर्य तो होता है, किंतु यह काव्यतत्त्व से विहीन होने के कारण अधम कोटि का काव्य माना गया है । उदाहरण स्वरूप(हिंदी में)  "चार चोर  चार छाते में चार चार अचार चाटे चाट चाट कर छाता चुराकर भागे" प्रथम दृष्टया यह अनुप्रास है। आचार्य रामचंद्र वर्मा ने इसे 'वर्ण मैत्र

पुलिस का डंडा,वाद्ययंत्र और पर्सनल सेंगोल

Image
पुलिस का डंडा- वाद्ययंत्र और 'सेंगोल'😊😊 पुलिस का 'डंडा'( दंड ) एक विशेष प्रकार का 'वाद्य यंत्र' है, अर्थात बजाने का 'बाजा' है । पुलिस जब यह 'दंड वादन' करती है, तो अपराधियों के शरीर में स्थित दृश्य और अदृश्य छिद्रों में से विभिन्न प्रकार की राग-रागिनियाँ निकलती हैं ।😊😊 पुलिस महान संगीत प्रेमी होती  है । वह भिन्न-भिन्न मुद्राओं में इस वाद्य यंत्र को 'बजाती' है और  'गाती' है । इस प्रकार प्रायः वह गाती-बजाती है। शांतिपूर्ण चुनाव के लिए पुलिस ने भारी मात्रा में 'डंडों' की खरीद की है, नेताओं ने 'गुंडो' की और पार्टियों ने 'झंडो' की । डंडा पुलिस वालों पर्सनल 'सेंगोल'( संसद में स्थापित धर्म दंड ) यह 'दंड' शासन में दुशासन को भी अनुशासन में रखता है । डंडा धर्मरक्षक और धर्मनिरपेक्ष है । डंडा त्वचा और हड्डियों से स्नेह मिलन के समय 'जाति' और वर्ग नहीं देखता । डंडा जब 'नश्वर' शरीर से मिलता है ,तो घोर नास्तिक को भी 'अल्लाह' और 'ईश्वर' का 'सस्वर' स्मरण  कराता है। क

नियति ,नेता ,भूसे का पर्वत और गेंहूँ के दाने

Image
'चुनाव' में 'दो' अच्छे लोग 'ढूंढ़ना' 'भूसे' के पर्वत से दो दाने गेहूँ के 'ढूंढने' जितना ही कठिन काम है  😊। प्रत्याशी 'दो' प्रकार के होते हैं, एक 'अधिक बुरा'  दूसरा 'अत्यधिक बुरा' ; दोनों में से 'कम बुरा' चुनना ही हमारी 'नियति' है,(जो 'स्त्रीलिंग' शब्द है) और 'नियति' का पुल्लिंग 'नेता' है। 'नियति' और 'नेता' के बीच वोटर 'उभयलिंगी' होकर अंततोगत्वा पाँच वर्षों के लिए 'नपुंसक लिंग' में परिवर्तित हो जाता है ।😊😊😊 #poetry #shorts #humour #satire #politics#rajasthan#chhattishgarh#madhypradesh#telangana#mizoram #assembly #elections#voter#candidate#kavisanjayjhala

चरित्र और आईने

Image
'चरित्र' और 'आईने 'हर स्थिति में साफ होने चाहिए क्योंकि कल आपके बच्चे उसमें अपना चेहरा देखेंगे आईना 'सच' का पैरोकार नहीं, 'सच' का पर्याय है । धृतराष्ट्र भी 'आईना' देखना चाहता है। उसका आईना  'संजय' है। कदाचित आईने का एक पर्याय संजय भी है । वह भी धृतराष्ट्र को सच दिखाता है, लेकिन लोभ -मोह  की धुंध ने उस सच को अनदेखा किया । मैं कई बार कहता हूँ, पत्रकारिता/मीडिया का आदर्श 'नारद' नहीं, संजय होना चाहिए; क्योंकि संजय तटस्थ और निष्पक्ष है ,आईने की तरह । आईना 'चेहरों' से कोई  समझौता नहीं करता, फिर वह चेहरा 'युधिष्ठिर' का हो या 'धृतराष्ट्र' का । पर आज.... आपको ऐसा नहीं लगता कि आईनों के भी अपने गुप्त एजेंडे हैं !!!!!! ख़ैर ..आईने और संजय की जुगलबंदी😊 तस्वीर सौजन्य:भ्राताश्री अरुण जैमिनी💐 #poetry#sahitya#humour#satire#viral#shorts#aaina#media#patrakarita#kavisammelan#kavisanjayjhala