चरित्र और आईने



'चरित्र' और 'आईने 'हर स्थिति में साफ होने चाहिए क्योंकि कल आपके बच्चे उसमें अपना चेहरा देखेंगे

आईना 'सच' का पैरोकार नहीं, 'सच' का पर्याय है । धृतराष्ट्र भी 'आईना' देखना चाहता है। उसका आईना  'संजय' है। कदाचित आईने का एक पर्याय संजय भी है । वह भी धृतराष्ट्र को सच दिखाता है, लेकिन लोभ -मोह  की धुंध ने उस सच को अनदेखा किया । मैं कई बार कहता हूँ, पत्रकारिता/मीडिया का आदर्श 'नारद' नहीं, संजय होना चाहिए; क्योंकि संजय तटस्थ और निष्पक्ष है ,आईने की तरह । आईना 'चेहरों' से कोई  समझौता नहीं करता, फिर वह चेहरा 'युधिष्ठिर' का हो या 'धृतराष्ट्र' का ।
पर आज.... आपको ऐसा नहीं लगता कि आईनों के भी अपने गुप्त एजेंडे हैं !!!!!!

ख़ैर ..आईने और संजय की जुगलबंदी😊
तस्वीर सौजन्य:भ्राताश्री अरुण जैमिनी💐
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