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रस और उनका क्रम

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जानें... जीवन के 'रस' और उसके 'क्रम' को 'अष्टौ नाट्ये रसा: स्मृता:' भरत मुनि ने आठ रसों का ही उल्लेख किया है । इसी के आधार पर महाकवि कालिदास भारवि और दंडी ने भी इन्ही 8  रसों  का ही प्रतिपादन किया है । भरत मुनि ने इन रसों का क्रम भी निर्धारित किया है, १. शृङ्गार, २. हास्य, ३. करुण, ४. रौद्र, ५ वीर, ६. भयानक, ७. बीभत्स और ८. अद्भुत-नाटक में ये आठ ही रस माने जाते हैं । रति या काम न केवल मनुष्य जाति में अपितु सभी जातियों में मुख्य प्रवृत्तिके रूप में पाया जाता है और सबको उसके प्रति आकर्षण होता है, इसलिए सबसे पहले शृङ्गार को स्थान दिया गया है। हास्य शृङ्गार का अनुगामी है, इसलिए शृङ्गार के बाद हास्यरस को स्थान दिया गया है। हास्य से विपरीत स्थिति करुणरस की है। इसलिए हास्यके बाद करुणरस को स्थान दिया गया है। अपने प्रियतम बन्धुके वास्तविक विनाश या भ्रमवश ही उसके विनाश का निश्चय हो जाने के बाद करुणरस की सीमा प्रारम्भ होती है, उसमें पुनर्मिलनकी आशा नहीं रहती है। अतएव करुणरस नैराश्यमय होनेसे निरपेक्ष-रस माना जाता है। भवभूतिने 'तटस्थं नैराश्यात्' कहकर करु

धर्म और सनातन धर्म का सार

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यह है 'धर्म और सनातन धर्म' का सार...हम कितने 'धार्मिक' और कितने 'सनातनी??😊 1.महर्षि वशिष्ठ :-शिष्ट महापुरुष जो आचरण करते हैं ,वही धर्माचरण के रूप में प्रमाण मानने योग्य है । 2 महर्षि मनु:- मनु ने आचार को कर्तव्य बताया है। उन्होंने इन दस तत्वों को धर्म कहा है। धृति( धैर्य- संतोष), क्षमा (दूसरे के अपराध को सह लेना- अपराधी को माफ करना), दम (मन को निर्विकार रखना), अस्तेय (दूसरे की वस्तु की याद नहीं करना ), शौच( शरीर को शुद्ध रखना) इंद्रिय निग्रह (जितेन्द्रियता), धी (भलीभांति समझना) विद्या, सत्य और अक्रोध ( क्रोध का कारण होते हुए भी क्रोध नहीं करना) इनको धर्म कहा है । 3 वेदव्यास:- दान ही धर्म है। 4 महर्षि आपस्तंब :-उत्तम आचरण ही धर्म है। जिसका आचरण ही खराब है, वह कोई धर्म नहीं कर सकता । 5 पाराशर स्मृति:- जो मनुष्य आचार से भ्रष्ट है, उनसे धर्म विमुख हो जाता है । 6 अत्रि स्मृति:- योग ही सर्वोत्कृष्ट धर्म है। 7 मार्कण्डेय स्मृति:- अहिंसा ,सत्य और सदव्यवहार ही धर्म है। 8 दक्ष स्मृति:- अतिथि सेवा ही धर्म है। 9 विश्वामित्र स्मृति :-उचित समय पर नैमित्तिक कार्य ही धर्म है । 10

टंग-ट्विस्टर

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'टंग -ट्विस्टर' अर्थात् सीधे-सीधे शब्दों में समझा जाए तो इसका अर्थ जिह्वा/ जीभ भाँजना -घुमाना -मरोड़ना है।  और अधिक  सरलता से  इसे परिभाषित किया जाए तो  इसे 'जिह्वा का  लयात्मक व्यायाम' कहना उपयुक्त होगा , ऐसा व्यायाम जो जिह्वा के माध्यम से उत्पन्न होने वाले शब्द- ध्वनि को अत्यंत सुस्पष्ट- शुद्ध -ग्राह्य -प्रभावी और चमत्कारी बनाता है ।  बहुत कम लोग हैं जो इसकेशारीरिक- वैज्ञानिक महत्त्व के साथ इसका शास्त्रीय महत्त्व भी जानते हैं । काव्यप्रकाश रचयिता आचार्य मम्मट काव्य भेद  को स्पष्ट करते हुए 'चित्र काव्य'  की व्याख्या करते हैं। चित्र काव्य को काव्य का तीसरा भेद भी कहा गया है । आचार्य मम्मट कहते हैं कि व्यंग्य और अर्थ से रहित शब्दों का अनुप्रास जन्य चमत्कार ही चित्र काव्य है । इस काव्य में शब्द सौंदर्य तो होता है, किंतु यह काव्यतत्त्व से विहीन होने के कारण अधम कोटि का काव्य माना गया है । उदाहरण स्वरूप(हिंदी में)  "चार चोर  चार छाते में चार चार अचार चाटे चाट चाट कर छाता चुराकर भागे" प्रथम दृष्टया यह अनुप्रास है। आचार्य रामचंद्र वर्मा ने इसे 'वर्ण मैत्र

पुलिस का डंडा,वाद्ययंत्र और पर्सनल सेंगोल

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पुलिस का डंडा- वाद्ययंत्र और 'सेंगोल'😊😊 पुलिस का 'डंडा'( दंड ) एक विशेष प्रकार का 'वाद्य यंत्र' है, अर्थात बजाने का 'बाजा' है । पुलिस जब यह 'दंड वादन' करती है, तो अपराधियों के शरीर में स्थित दृश्य और अदृश्य छिद्रों में से विभिन्न प्रकार की राग-रागिनियाँ निकलती हैं ।😊😊 पुलिस महान संगीत प्रेमी होती  है । वह भिन्न-भिन्न मुद्राओं में इस वाद्य यंत्र को 'बजाती' है और  'गाती' है । इस प्रकार प्रायः वह गाती-बजाती है। शांतिपूर्ण चुनाव के लिए पुलिस ने भारी मात्रा में 'डंडों' की खरीद की है, नेताओं ने 'गुंडो' की और पार्टियों ने 'झंडो' की । डंडा पुलिस वालों पर्सनल 'सेंगोल'( संसद में स्थापित धर्म दंड ) यह 'दंड' शासन में दुशासन को भी अनुशासन में रखता है । डंडा धर्मरक्षक और धर्मनिरपेक्ष है । डंडा त्वचा और हड्डियों से स्नेह मिलन के समय 'जाति' और वर्ग नहीं देखता । डंडा जब 'नश्वर' शरीर से मिलता है ,तो घोर नास्तिक को भी 'अल्लाह' और 'ईश्वर' का 'सस्वर' स्मरण  कराता है। क

नियति ,नेता ,भूसे का पर्वत और गेंहूँ के दाने

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'चुनाव' में 'दो' अच्छे लोग 'ढूंढ़ना' 'भूसे' के पर्वत से दो दाने गेहूँ के 'ढूंढने' जितना ही कठिन काम है  😊। प्रत्याशी 'दो' प्रकार के होते हैं, एक 'अधिक बुरा'  दूसरा 'अत्यधिक बुरा' ; दोनों में से 'कम बुरा' चुनना ही हमारी 'नियति' है,(जो 'स्त्रीलिंग' शब्द है) और 'नियति' का पुल्लिंग 'नेता' है। 'नियति' और 'नेता' के बीच वोटर 'उभयलिंगी' होकर अंततोगत्वा पाँच वर्षों के लिए 'नपुंसक लिंग' में परिवर्तित हो जाता है ।😊😊😊 #poetry #shorts #humour #satire #politics#rajasthan#chhattishgarh#madhypradesh#telangana#mizoram #assembly #elections#voter#candidate#kavisanjayjhala

चरित्र और आईने

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'चरित्र' और 'आईने 'हर स्थिति में साफ होने चाहिए क्योंकि कल आपके बच्चे उसमें अपना चेहरा देखेंगे आईना 'सच' का पैरोकार नहीं, 'सच' का पर्याय है । धृतराष्ट्र भी 'आईना' देखना चाहता है। उसका आईना  'संजय' है। कदाचित आईने का एक पर्याय संजय भी है । वह भी धृतराष्ट्र को सच दिखाता है, लेकिन लोभ -मोह  की धुंध ने उस सच को अनदेखा किया । मैं कई बार कहता हूँ, पत्रकारिता/मीडिया का आदर्श 'नारद' नहीं, संजय होना चाहिए; क्योंकि संजय तटस्थ और निष्पक्ष है ,आईने की तरह । आईना 'चेहरों' से कोई  समझौता नहीं करता, फिर वह चेहरा 'युधिष्ठिर' का हो या 'धृतराष्ट्र' का । पर आज.... आपको ऐसा नहीं लगता कि आईनों के भी अपने गुप्त एजेंडे हैं !!!!!! ख़ैर ..आईने और संजय की जुगलबंदी😊 तस्वीर सौजन्य:भ्राताश्री अरुण जैमिनी💐 #poetry#sahitya#humour#satire#viral#shorts#aaina#media#patrakarita#kavisammelan#kavisanjayjhala

हास्यम्-लास्यम्😊

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पजामा- 'नाडा' और क'नाडा'😊😊😊 कनाडा ने खालिस्तानी आतंकवादी निज्जर की आत्मा को परमात्मा से मिलाने का आरोप भारत सरकार पर मढ़ दिया । भारत सरकार ने भी आनन-फानन  में कनाडा सरकार के 'सर' पर 'कार' चलाने का मूड बना लिया और अब भारत सरकार कनाडा के पाजामे का 'नाडा'( मालवा के कवि मित्रों से साभार)😊😊 उसी प्रकार खोल रही है, जैसे पुरुष प्रकृति के भेद और बंधन खोलता है। अच्छी बात है... 👍 धूमिल के शब्दों में क्षमा के साथ कहूँ तो आज वैश्विक राजनीति में भी हिजड़े 'लिंगबोध' की बात करते हैं और गणिकायें 'आत्मशोध' की ।  कौवे भी इस फिराक में रहते हैं कि कब  हंसों  को कोढ़ी कहने का मौका मिले । वैसे क्या दिक्कत है....? यदि भारत सरकार यह गर्व से कहे कि कश्मीर और खालिस्तान की बात करने वालों की सुपारी हम ही यमराज को देते हैं । लेकिन भारत के संस्कार हैं कि वो शत्रुओं की भी लंबी आयु की कामना करता है , 'जीवन्तु मे शत्रुगणा: सदैव' वैसे भारत को अमेरिका की रीति-नीति अच्छे से समझनी होगी, क्योंकि यथा समाचार निज्जर की हत्या की सूचना एफ बी आई ने ही कनाडा को दी