तत्र ही 'क्यों'रमन्ते देवता😊😊?

  यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, तत्र ही 'क्यों' रमन्ते तत्र देवता:??😊😊😊
अब तक हम सुनते आए हैं कि महिलाओं की 'दिल' से इज्जत करनी चाहिए । आज से हम 'बिल' से इज्जत करेंगे । यह जानने योग्य है कि जिस देश में सावित्री, अदिति, लोपामुद्रा ,अपाला और घोषा जैसी महिलाएँ वेद मंत्रों  की दृष्टा के रूप में देवताओं के लिए भी पूजनीय रही है, उस देश में नारी सम्मान के लिए अधिनियम लाया गया है । वेदों ने स्त्री- पुरुष, दोनों को शासक चुनने एवं युद्ध में भाग लेने की स्वीकृति-अधिकार दिया है ।महिलाओं को समान शिक्षा अधिकारी और पुरुष के धन ,बल ,यश और कीर्ति  का कारक माना है  । उस नारी शक्ति के वंदन  के लिए अब हम 'एक्ट' के थ्रू 'रिएक्ट' करेंगे। 
वैसे हमेशा पुरुषों ने महिलाओं को आगे बढ़ाया है।
जब भी बस- सिनेमा- रेल की लाइन लंबी होती है, तो पुरुष उदारतापूर्वक टिकट लेने के लिए महिलाओं को आगे बढ़ा देता है।😊
कहीं ऐसा तो नहीं कि फिर इन पुरुषों ने षडयंत्र पूर्वक उन्हें लोकसभा- विधानसभा का टिकट लाने के लिए आगे बढ़ा दिया हो । हे नारियों,इन नारों; क्षमा से करें पुरुषों से सावधान रहने की आवश्यकता है । वैदिक काल में कन्याओं को वर चुनने का अधिकार होता था । 
यजुर्वेद (20.9) ने महिला -पुरुष दोनों को शासक चुनने का अधिकार दिया है ।  वेदों का मानना है कि स्त्रियां भूसे के पर्वत से गेहूँ का एक दाना चुनने में समर्थ है। भाई शैलेश लोढ़ा मंच पर एक मजेदार टिप्पणी प्रायः करते हैं कि  जो एक साड़ी खरीदने के लिए पूरी दुकान बिखेर देती है, उस महिला को दिल से धन्यवाद दो, उसने तुमको पसंद किया है । महिलाओं की पसंद हमेशा श्रेष्ठ होती है । मेरी पत्नी ने मुझे पसंद किया है। मैं अपनी पत्नी से हास-परिहास  करता हूँ और मैं कहता हूँ, पसंद तो मेरी ही ठीक नहीं है ।😊😊 
अस्तु.... यह सत्य है...  - यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता: ...... मैं कई बार सोचता हूँ ,यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते तत्र ही क्यों रमन्ते देवता? यत्र मोदी जी, राहुल जी,केजरीवाल जी, और अखिलेश जी रमन्ते ,तत्र क्यों नहीं रमन्ते देवता!!!😊 भाई देवताओं की भी अपनी चॉइस होती है।
और चलते-चलते .....नारी का सम्मान 'दिल' से हो या 'बिल' से सदैव स्वागत योग्य है💐💐 ....मेरा मानना है कि नारी को  आज 'आरक्षण' से ज्यादा  'संरक्षण' की आवश्यकता है, 'बिल' से और ' दिल' से ।

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